1995-96 के बाद शनिवार ग्यारह या बारह बजे बच्चों के लिए फिल्में प्रदर्शित होती थी। ईनमें से कई फिल्में तो प्रादेशिक भाषा की होती थी, जो हिंदी डब होती थी। ईन्हीं दिनों कई अच्छी फिल्में देखने को मिली। कुछ फिल्मे जो मुज़े याद रह गई,वह यह थी।
त्रियात्रीः ईस फिल्म में तीन टीनएज लडके कुच नया करने की धून में साईकिल पर निकल पड़ते है। यह एक प्रवास होता है जो ये लोग कुछ समय में पुरा करना चाहते है। फिर रास्ते में ईन्हें अलग अलग अनुभव होतें है, जिनसे यह तीनो जींदगी के बारे में अच्छा सबक लेते है। वैसे यह फिल्म के दौरान बिजली चली गई थी और फिल्म पुरा होने तक वापस आई थी।
अलबर्टः Advetnures of Albert नाम की एक अंग्रेजी फिल्म डब कर के 'अलबर्ट के कारनामे' या कुछ एसे ही मिलते ज़ुलते नाम से टेलिकास्ट की गई थी। आलबर्ट एक शैतानी करनेवाला बच्चा था। उसे माँ-बाप घर पर कई बार अकेला छोड कर चले जाते और आलबर्ट कुच ना कुछ कारनामे करता रहता। ईस फिल्म में आलबर्ट की छोटी लवस्टोरी भी थी! बच्चों की फिल्म में मैने पहली बार एसा कुछ देखा था। लेकिन फिल्म बहुत कोमेडी और मज़ेदार थी।
मैं फिर आउंगाः अभयम 1991 नाम की मलियालम फिल्म हिंदी में 'मैं फिर आउंगा' नाम से दिखाई गई थी। यह फिल्म की स्टार्टींग ही ईतनी बढिया थी की मैं पुरी फिल्म देखे बिना नहीं रह पाया था। एक बच्चा, जो अपने दादाजी को बहुत प्यार और याद करता है... वह अपने स्कूल से परेशान था। वह एक दिन किसी तरह घर छोड़ कर गांव अपने दादाजी के पास निकल पडा। उसे पता भी नहीं मालूम था। लेकिन फिल्म के अंत तक वह दादाजी तक पहुंच ही जाता है। लेकिन ईस दौरान ईसे कई बुरे और अच्छे अनुभव का सामना करना पडता है।
सुपरनोवा 459: स्पेस से सुपरनोवा के साथ आई हुई कोई किंमती और अजीब चीज़ के पीछे एलियन और दुनिया के कई लोग पडे थे। लेकिन वह चीज़ और एलियन ईन तीन बच्चों के हाथ लग जातें है। एक साउथ ईंडियन फिल्म को हिंदी में डब तो किया था लेकिन ईस फिल्म के गानें भी हिंदी वर्झन में काटे नहीं गए थे। उन्हें भी हिंदी में डब कर के शामिल किया गया था। फिल्म ठीक ठाक थी लेकिन Sci-Fi टच होने के कारण देखने में मज़ा आया था।
सफेद हाथीः यह फिल्म बाकी फिल्मों से थोडी पुरानी ज़रुर थी। लेकिन फिल्म युनिक होने के कारण देखने में अच्छी लगी थी। एक हाथी को शिकारी और माफिया द्वारा शिकार होने से बचाने के लिए एक बच्चा दुनिया से भीड जाता है। वह हाथी को रंग लगा कर उसे बदल देता है, कुछ ईस प्रकार की कहानी है।
ईसी तरह की एक फिल्म और भी थी, जिसका नाम याद नहीं आ रहा। ईसमें हाथी की जगह मगरमच्छ एक बच्चे का मित्र बन जाता है। लेकिन गांव के लोग मगरमच्छ को मार देना चाहते है। बच्चा रोज़ मगरमच्छ को कुछ ना कुछ खिलाने को आता है और मगरमच्छ भी उसे पहचानता है। आखिरकार बच्चा एक छोटी नहर खोद कर उस पाने के रास्ते मगरमच्छ को भगा देता है, ताकि गांववाले उसे मार न डाले।
हेलोः यह फिल्म तो बेस्टेस्ट लगी थी! राजकुमार संतोषी ने ईस फिल्म में एक्टीग की है! बाकायदा एक पिता का रोल निभाया है। फिल्म 1996 में बनी थी और गर्मागर्म दूरदर्शन पर परोसी गई थी। ईसका डाईरेक्शन, संगीत, डाईलोग्स सब कुछ नेक्स्ट लेवल था। ईस पर मैणे एक विडीयो ही बना डाला था, जो युट्युब पर सर्च करने से मिल जाएगा। Pet lovers को यह फिल्म बहुत पसंद आएगी और जिन्हें Doggies पसंद नहीं... उन्हें भी यह फिल्म ज़रुर पस्म्द आएगी।
खास बात। बच्चों के लिए आज की डेट में भी अच्छा कोंटेंट नहीं बन रहा है, जो उन्हें जीवन के रोचक अनुभवो के बारे में कुछ सीख दे जाए। पेरेंट्स का यह फर्ज है की एसी फिल्मे, कहानीयां और किस्से बच्चों को ज़रुर सुनाए। आप भी यह फिल्में अपने जरुर देखे और दिखाए। युट्युब पर यह फिल्में मिल ही जाएंगी।
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Thursday, 15 September 2022
बच्चों की फिल्में
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