Thursday 24 November 2022

Napoleon Dynamite - Hollywood Movie

Napoleon Dynamite is a movie that takes you to the another world. This world is not magical, mysterious, futuristic that we seen in other Hollywood movies. This is the world of Napoleon Dynamite. Situated somewhere near out nostalgia. 

This is the purest form of nostalgia and all characters are so much into it. The food, gadgets, fashion, colors and styles represents simplicity 80's era. 

Napoleon Dynamite - Wikipedia

Setting and Feel

File:Big J's 2004.png - Wikimedia Commons

The Napoleon and his brother has low sense and understanding about the real world. I also had this feeling when I was teenage, assuming the world and life are so simple. Had no goal and no surety, clarity about direction where I should be going. I thing many of us were feeling exactly same like me. 

This was the era of television, electronic music and gadgets. Fashion magazines with printed ads of cold drink brands and fast food. They were promoting youth's new lifestyle and selling dreams to us, teenagers. 

These leaves many shallow memories. Which suddenly appeared when I saw this movie. I repeatedly watch it again and again! Could not stop my self. 

 

Story and flow

Napoleon never smiles and cries. He is just stay annoyed and confused. Gets bullied by classmates and started to looking for some friend support. He shows off. He says big things which can't be real. That creates great fun for the movie audience. 

He gets a friend, Predo. Just like him, he has the same brain as Napoleon has. With the help of each other, both of friends get what they want. 

The story some time looks so plot less. But no, it is moving slowly. It has it's own features. The characters like Kip, Uncle Rico and Deb are also just like Napoleon... living in their own world... being stupid and sometime trying to be smart enough.

 

Direction and making

Low budget film making, according to me... opens up lot of new ways that main stream cinema can't think of. Just look at opening title designs as an example. Story arc and situations create simplicity because no extraordinary things comes up to viewers.

 

Conclusion and final verdict

Many viewers find it's a comedy movie with dumb characters. But Napoleon, Predo, Deb, Kip are actually not so normal as her mom, Summer, Rex and other casting. With that slight mental disability they never gave up and rich to the desired goal. 

Happy dnding! Yes, I love happy ending!

Tuesday 4 October 2022

बाहुबली से आदिपुरुष

रामायण ( Ramayan ) के मुल आधार पर बनी फिल्म Aadipurush - १२ जनवरी, २०२३ को आने वाली है। डिरेक्टर Om Raut ने ईससे पहले तानाजी ( Tanhaji ) फिल्म बनाई है जिसके विझ्युअल्स की स्टाईल काफी हद तक Prabhas की बाहुबली ( Bahubali ) फिल्म से प्रभावित थी। लेकिन फिल्म बनाने में ईन्हों ने कोई कसर नहीं छोडी। हालां की सिर्फ पांच-सात फिल्मो के अनुभव से ही रामायण जैसे गहन और श्रेष्ट विषय को हाथ लगाना मुज़े थोडी जल्दबाजी लग रही है।

लेकिन देखा जाए तो मौका भी यही है, क्युं की Hindutva की हिंदुवादी आंधी पुरे देश में चल चुकी है। फिल्मी लोग धडल्ले से हिंदु समाज को खुश करने में लगे हुए है। ईनके साथ जुडे हुए युट्युबर्स, ब्लॉगर्स भी अपनी अच्छी कमाई कर रहें है। मुज़े ईससे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन फिल्म मेकिंग में हम अभी भी पीछे चल रहें है। 
 
सर राजा मौली ( Raja Mauli ) ने जिस प्रकार बाहुबली बनाई और लोग चकाचौंध हो गए... एसा फिर से नहीं होनेवाला, यह बात समज़ लिजीए। बाहुबली के समकालीन समय में कोई फिल्म उस जैसी बडी और एपीक थीम पर आधारित थी ही नहीं। ईससे पहले हिंदी दर्शकों ने एसा जलवा मगधीरा जैसी साउथ की फिल्मों में ही देखा था। बाहुबली सही समय पर सही क्षमता के साथ आई और छा गई! एसा जादू फिर से होना कुदरत के नियमानुसार... संभव नहीं है!
 
लेकिन यह अच्छा है की भले साउथ की फिल्मों के कारण ही सही.... भारतीय दर्शकों की पसंद बदल रही है। लेकिन अब ईस बदलाव के समय में एसी फिल्में बननी चाहिए जो वर्ल्ड क्लास हो। ज़रुरी नहीं है की हम (दर्शक और मेकर्स) सिर्फ आदिपुरुष जैसी epic movie पर ही ध्यान केंद्रींत करे। लेकिन हमें उस हरएक genre पर फिल्म बनानी है जो भारत के बाहर बन रहें है।
 
 
मेकर्स को चाहिए की भले वे करोडों कमाए, लेकिन कुछ प्रयत्न एसे लोगों को आगे लाने में करें जो पहले से बह्त अच्छा कर रहे है। जैसे की... आयुष्मान खुराना, पंकज त्रीपाठी, जितेंद्र कुमार।
 
एसे कई कलाकार बहुत ही प्रतिभाशाली है और करोडॉं भारतीय ईन्हें बहुत पसंद करतें है। लेकिन ईन्हें उतने बडे रोल मिल नहीं रहें, जितने बडे रोल ईन्हें मिलने चाहिए। एसे ही कई प्रतीभाशाली युवा जो लो बजेट मुवीझ या वेब सिरीझ में बहुत महेनत कर रहें है, ईनको बडा चांस दिया जाए।
 
खैर, यह सब बहुत मुश्किल है। लेकिन आशा फिर भी है की आनेआले समय में कुछ अच्छी फिल्म्स हमें देखने को मिलेगी। भारतीय सिनेमा का स्तर और ऊंचा होगा।
 
ईसे भी पढें - भारत के लिए ऑस्कार
 

Thursday 22 September 2022

Oscar for India


जब हमें कोई मुवी बहुत अच्छी लगती है और खास कर के वह मुवी ब्लॉक बस्टर हो जाती है.... हम सोचतें है की यह मुवी को तो ऑस्कार मिलना चाहिए। लेकिन एसा होना मुश्किल है। आज तक कभी एसी फिल्मों को ऑस्कर नहीं मिला जो सिर्फ सुपरहीट हुई है। ऑस्कार जीतने के लिए कई क्राईटेरीया होतें है और बहुत से ज़जीस वोटींग के आधार पर बेस्ट फिल्म को चुनते है।

 
सत्यजीत रे, कल्पना लाज़मी, अमोल पालेकर, मीरा नायर, शेखर कपुर एसे कई आर्टीस्ट है जो फिल्म डाईरेक्ट करतें थे और उन्हों ने एसी फिल्म्स बनाई... जो ऑस्कार तक पहुंच सके। लेकिन मोडर्न आर्ट के मामले में विदेशी हमसे हंमेशा जीतते ही आए है। सो हमें कभी ऑस्कार नहीं मिल पाया। फिर बोलीवुड् ने भी कभी ऑस्कार के लिए मुवी बनानी नहीं चाही। सिर्फ आमिर या आशुतोष गोवारीकर अपनी तरह से कोशिश करते रहे। लेकिन वे भी ज्यादा सफल नहीं हो पाए।
 
अब यह हालत है की ब्लॉगर्स, युट्युबर्स और ईन्फ्ल्युएंसर्स ऑस्कार को 'खट्टे अंगुर' बताते हुए यह कह रहें है की ऑस्कार की कुछ ज्यादा वेल्यु नहीं है। ईसमें जीनते वाली फिल्म आर्थिक रुप से फ्लॉप होती है। कांस बर्लिन जैसे कुछ मल्टीनेशनल एवोर्ड् की वेल्यु वे भारत में बढा चढा कर दिखाना चाहतें है।
 
लेकिन, ऑस्कार निष्पक्ष एवोर्ड है और ईसमे पैसे या राजनीतिक दबाव से भी विक्षेप नहीं किया जा सकता। साम-दाम-दंड-भेद... वहां कुछ काम नहीं कर सकता। अगर एसा होता तो ऑस्कार एवोर्ड का ईतना नाम और सम्मान न होता।
 
बहुत से फिल्म मेकर्स समजतें है और चाहते भी है की भारत को एक गौरवशाली देश के रुप में दर्शा कर हम ओस्कार जीत सकतें है। लेकिन एसा नहीं हो सकता। लगान ईसका एक अच्छा उदाहरण है। हाल ही में मलियालम, बंगाली और मराठी फिल्म ईंडस्ट्री कुछ एसा काम कर रही है जो वर्ल्ड में नोटीफाई हो सके।
 
अब सवाल यह उठता है की कैसी फिल्म ऑस्कार जीत सकती है। अगर आप पीछले कुछ सालों की ओस्कार वीनर मुवीज़ देखें तो यह बहुत ही आसानी से दिखाई पड़ता है। जिन फिल्मों में एसी कहानी है, जिसी दुनिया ने क्भी देखा नहीं। एसी कहानी, जिस पर कभी कोई भी देश में फिल्म बनी नहीं। एसी कहानी जो बहुत सिंपल हो और एक सीदासादा ईंसान भी समज़ पाए। एसी फिल्म जो आपको एसा अनुभव दे, जो आपने पहले कभी फील न किया हो। एसी फिल्में ऑस्कार के नोमिनेशन तक पहुंच सकती है।

उदाहरण के तौर पर नोमेडलेंड 2021, पेरासाईट 2020 , ग्रीन बुक 2019 , द शेप ऑफ वोटर 2018.... एसी सब फिल्में ऑस्कर विजेता है। ईन फिल्मों को आपने देखी ही होगी। ईस में कहीं कोई देश के गौरवशाली ईतिहास के बारे में नहीं कहा गया है। ना ही ईनका बजेट हमारी बोलिवुद फिल्मों जितना बडा है! ईस में सीधे सादे तरीके से एक ईंसान की तकलीफें और उससे वह कैसे उगरता है यही दिखाया जाता है।  एसी फिल्में देख कर ईसे हम हमारी फिल्मों से कंपरे करना चाहिए। ताकी हम सच में वैश्विक फिल्म जगत में अपनी कुछ पहचान बना पाए। यह बहुत ज़रुरी है क्युं की पीछले कुछ सालों से हंगेरीयन, तुक्रीश, ईरानी जैसी हमसे कई गुना छोटी फिल्म ईंडस्ट्री भी विश्व सिनेमा में अपना डंका बजा रही है। हम साल की 800-900 फिल्में एनाउंस करते है और करीबन 250-300 बना भी देते है।  लेकिन विश्व में हमारी फिल्मों की पहचान न के बराबर है।
 
अच्छी बात यह है की अभी कई सुपरहीट फिल्मों को छोड कर ईंडिया ने अपनी 'ध लास्ट फिल्म शो' नाम की फिल्म भेजी है। यह फिल्म ऑस्कार के लिए वाकई अच्छी लग रही है।
 
 

Thursday 15 September 2022

बच्चों की फिल्में

1995-96 के बाद शनिवार ग्यारह या बारह बजे बच्चों के लिए फिल्में प्रदर्शित होती थी। ईनमें से कई फिल्में तो प्रादेशिक भाषा की होती थी, जो हिंदी डब होती थी। ईन्हीं दिनों कई अच्छी फिल्में देखने को मिली। कुछ फिल्मे जो मुज़े याद रह गई,वह यह थी।

त्रियात्रीः ईस फिल्म में तीन टीनएज लडके कुच नया करने की धून में साईकिल पर निकल पड़ते है। यह एक प्रवास होता है जो ये लोग कुछ समय में पुरा करना चाहते है। फिर रास्ते में ईन्हें अलग अलग अनुभव होतें है, जिनसे यह तीनो जींदगी के बारे में अच्छा सबक लेते है। वैसे यह फिल्म के दौरान बिजली चली गई थी और फिल्म पुरा होने तक वापस आई थी।

अलबर्टः Advetnures of Albert नाम की एक अंग्रेजी फिल्म डब कर के 'अलबर्ट के कारनामे' या कुछ एसे ही मिलते ज़ुलते नाम से टेलिकास्ट की गई थी। आलबर्ट एक शैतानी करनेवाला बच्चा था। उसे माँ-बाप घर पर कई बार अकेला छोड कर चले जाते और आलबर्ट कुच ना कुछ कारनामे करता रहता। ईस फिल्म में आलबर्ट की छोटी लवस्टोरी भी थी! बच्चों की फिल्म में मैने पहली बार एसा कुछ देखा था। लेकिन फिल्म बहुत कोमेडी और मज़ेदार थी।

मैं फिर आउंगाः अभयम 1991 नाम की मलियालम फिल्म हिंदी में 'मैं फिर आउंगा' नाम से दिखाई गई थी। यह फिल्म की स्टार्टींग ही ईतनी बढिया थी की मैं पुरी फिल्म देखे बिना नहीं रह पाया था। एक बच्चा, जो अपने दादाजी को बहुत प्यार और याद करता है... वह अपने स्कूल से परेशान था। वह एक दिन किसी तरह घर छोड़ कर गांव अपने दादाजी के पास निकल पडा। उसे पता भी नहीं मालूम था। लेकिन फिल्म के अंत तक वह दादाजी तक पहुंच ही जाता है। लेकिन ईस दौरान ईसे कई बुरे और अच्छे अनुभव का सामना करना पडता है।

सुपरनोवा 459: स्पेस से सुपरनोवा के साथ आई हुई कोई किंमती और अजीब चीज़ के पीछे एलियन और दुनिया के कई लोग पडे थे। लेकिन वह चीज़ और एलियन ईन तीन बच्चों के हाथ लग जातें है। एक साउथ ईंडियन फिल्म को हिंदी में डब तो किया था लेकिन ईस फिल्म के गानें भी हिंदी वर्झन में काटे नहीं गए थे। उन्हें भी हिंदी में डब कर के शामिल किया गया था। फिल्म ठीक ठाक थी लेकिन Sci-Fi टच होने के कारण देखने में मज़ा आया था।

सफेद हाथीः यह फिल्म बाकी फिल्मों से थोडी पुरानी ज़रुर थी। लेकिन फिल्म युनिक होने के कारण देखने में अच्छी लगी थी। एक हाथी को शिकारी और माफिया द्वारा शिकार होने से बचाने के लिए एक बच्चा दुनिया से भीड जाता है। वह हाथी को रंग लगा कर उसे बदल देता है, कुछ ईस प्रकार की कहानी है।
ईसी तरह की एक फिल्म और भी थी, जिसका नाम याद नहीं आ रहा। ईसमें हाथी की जगह मगरमच्छ एक बच्चे का मित्र बन जाता है। लेकिन गांव के लोग मगरमच्छ को मार देना चाहते है। बच्चा रोज़ मगरमच्छ को कुछ ना कुछ खिलाने को आता है और मगरमच्छ भी उसे पहचानता है। आखिरकार बच्चा एक छोटी नहर खोद कर उस पाने के रास्ते मगरमच्छ को भगा देता है, ताकि गांववाले उसे मार न डाले।

हेलोः यह फिल्म तो बेस्टेस्ट लगी थी! राजकुमार संतोषी ने ईस फिल्म में एक्टीग की है! बाकायदा एक पिता का रोल निभाया है। फिल्म 1996 में बनी थी और गर्मागर्म दूरदर्शन पर परोसी गई थी। ईसका डाईरेक्शन, संगीत, डाईलोग्स सब कुछ नेक्स्ट लेवल था। ईस पर मैणे एक विडीयो ही बना डाला था, जो युट्युब पर सर्च करने से मिल जाएगा। Pet lovers को यह फिल्म बहुत पसंद आएगी और जिन्हें Doggies पसंद नहीं... उन्हें भी यह फिल्म ज़रुर पस्म्द आएगी।

खास बात। बच्चों के लिए आज की डेट में भी अच्छा कोंटेंट नहीं बन रहा है, जो उन्हें जीवन के रोचक अनुभवो के बारे में कुछ सीख दे जाए। पेरेंट्स का यह फर्ज है की एसी फिल्मे, कहानीयां और किस्से बच्चों को ज़रुर सुनाए। आप भी यह फिल्में अपने जरुर देखे और दिखाए। युट्युब पर यह फिल्में मिल ही जाएंगी।

#ods #Doordarshan #दूरदर्शन #old_doordarshan_serials

Monday 29 August 2022

The Weatherman - A moive like Forrest Gump

Recently I have seen a movie on youtube. It was not graceful and hit like Forrest Gump movie. But I could connect protagonists of movie at some points.

Forrest Gump is a man with low IQ. Where in this movie, people don’t respect and like the hero.

  • Both are confused about their future. Both are seeking for their lost love.
  • Both have many emotional problems and weakness.
  • Time and situations never support them. 

 

This movie is  The Weatherman (2005)

 


David Spritz is working for a news channel and his job is to cover weather news. How ever he is not so happy and sometime bored with his job. But this is the best what he could do for getting paid.

He grown in very protective nature of his father. However his father pushed him many ways to do something in life. But David couldn't be like his father. He has deep regret and pain for it. This makes him so pessimist about life. 

He has a broken marriage and two kids. Who has their own issues and problems to deal with. They live with their mother. David keep visiting him regular basis and try to help them his way...


David's wife is about to get remarried, his father is on a critical stage of a disease, kids are facing new problems, David himself is feeling confused and helpless.

This is the whole situation and setting about the movie. But there are many light comedy things are happen. How weatherman deal with this things and how he get through (or not) is all the movie about.

You should watch it Comedy Drama moive if you like The Forrest Gump.


Next: Sylvester Stallone in Oscar

Sunday 21 August 2022

Oscar (1991 film)

Oscar1991poster.jpg 

As an Indian viewer, most of my favorite films were action packed or epic. Can't imagine our favorite Hollywood hero in any other genre. Rock's Tooth Fairy never been buzzed in India. Never seen trailer nor I heard about it. So this was the scenario.

But now after a long time, after Nolan's Tenet effect was faded out... I thought to give some time to 90's movies. Especially they are filled with amazing story arcs, twists, orchestral melodies and all elements of cinema. 

So, I seen this movie on Youtube. Played it after reading some comments! And the found this movie so amazing.


So who was the Oscar?

Well, you will know it letter. The story starts with Snaps. He was the Mob Boss and tries to change his image for some reason. His wife, daughter and his Goons were up to their different needs and wants. Many funny charecters has come between and creates and mind-twisting comedy!

Lately found that it's based on a French movie with same name.

You must have seen this movie and if not, pls watch NOW!

 
Read Next: Rocky - Sylvester Stellone


Saturday 20 August 2022

Rocky - Sylvestor Stallone

Rocky (1976) | Poster design by S. Weidman 2017 | 7th Street Theatre  Hoquiam, WA | Flickr
Well, this is not well baked article as I am going to write it roughly. 

I was amazed by watching an amazing movie of Sylvester Stallone. I was thinking that Arnold is better than him as he is more successful and became a Mayor too. 

But lately I gone through this movie, Rocky. I was stunned by the making first. It was so simple and a slow start for any movie. Especially the movie is based on a sport. 

But that slow part was the soul of this movie. The essence of the the character is overall and his goal and priority and behavior is so down to earth.

The ending of Rocky is really different and heart-winning.

File:Sylvester Stallone-2.gif - Wikimedia Commons

The mind blowing fact (because i was not aware on the first watch of Rocky) is the story was written by Sylvester himself! And if someone can write this kinda story, with strong concept, willingly different characterization, different story setting... he or she must be a great, wast and powerful artist. And Sylvester is. So he became more favorite than Arnold then. 

The ending of the movie is so amazing and mesmerizing. Great music and everything is just perfect.

I have seen all parts of Rocky series but loved first Rocky the most!


Arnold or Sylvester... who is your favorite?


Next: Silvester's moive - OSCAR


90's Movies - Time Travel Romantic Movie

The Love Letter (TV Movie 1998) - IMDb

I really became less interested by watching Nolan’s Interstellar. It’s an amazing to feel sci-fi setting and thrilling time travel in between a portion of the movie. It’s a level up for Hollywood for science fiction movie without any doubt.

Noways by looking for some good 90’s flick, got two movie on youtube. Were nice and worth watching. But hey, it’s not scifi but a romantic genre movie.


The protagonist gets some letter from a drawer of a vintage table. And that’s how the story starts. He gets contact with a woman who was passed away.

Second films is For all time

An artist accidentally reaches in a town in old time. He found a woman and he fell for her. He kept visiting to her everyday and the rest is very cute!

Both are cute moives of 90s and available on youtube and if you watched it already, pl let me know if you liked them.

Sunday 7 August 2022

क्या बनोगे मुन्ना - दूरदर्शन

'क्या बनोगे मुन्ना' नाम से एक धारावाहिक आता था। जिसमें एक बच्चे के घरवाले उस पर पढाई का बहुत दबाव डालते और किसी अच्छी लाईन में भेजने के सपने देखते। ईस धारावाहीक में दिखाया गया बच्चा (यमन कौशिक) वही है जो छोटा जादूगर टेलीफिल्म में मुख्य कलाकार था।
जहां तक मुज़े याद है क्या बनोगे मुन्ना दोपहर को दिखाया था। फिर शायद रात के समय भी ईसका रीपीट टेलिकास्ट हुआ था।
 
ईसका टाईटल सोंग कुछ एसा था....




क्या बनोगे, क्या बनोगे, क्या बनोगे मुन्ना? - 2
मम्मी कहती बनो डॉक्टर, पापा कहते अफसर.
ईंन्जीनीयर बन जाओ भैया, बहना कहती अक्सर!
बच्चे के विकास में बोलो बच्चे का क्या हिस्सा?
(आखरी लाईन याद नही!)
 
ईस की कहानी अगर किसीको याद हो तो ज़रुर कोमेंट में बताए।
 
#kyabanogemunna #doordarshan #ods #old_doordarshan_serials

Friday 5 August 2022

YouTube से कितना पैसा कमाया जा सकता है?



Youtube के बारे में पहले कुछ 'मोटा-मोटा' जान लेते है!
 
Youtube एक एसा प्लेटफोर्म है जहां आप विडीओ upload करके पैसा कमा सकतें है। Income के साथ साथ अपना टेलेंट दुनिया को दिखा कर नाम और शोहरत बटोर सकते है। फिल्म और टीवी के बाद यह एक सेंसेशनल प्लेटफोर्म है जहां कई लोग ईतने पोप्युलर हो गए है की वे किसी सेलिब्रीटी से कम नहीं।
 
अभी कुछ चार-पांच साल पहले ही Technical Guruji (टेकनीकल गुरुजी), Bhuvan Bam (भुवन बाम),  CarryMinati (कैरीमिनाटी), Amit Bhadana (मित भडाना) जैसे कुछ युट्यूबर्स ईतने फेमस हो गए की लोग उनकी सफलता को देख कर चकाचौंध हो गए। ईनसे पहले कुछ रेपर्स भी सुर्खीयां बटौर चुके थे। लेकिन आर्थिक फायदा और शोहरत टेकनिकल विडीयो, वाईन्स और रोस्टींग विडीयोने अधिक कमाया। ईसमें अभी के लिए नैतिकता को जरा दुर रखते है।  क्युं की ईसमें पारिवारीक content बहुत कम बन सकता है और ईंटरनेट एसा माध्यम है जो लोग टीवी की तरह परिवार के साथ नहीं देखते।


वैसे भुलना नहीं चाहिए की ईन्हें, Reliance द्वारा भारत में की गई एक तरह की 'डेटा क्रांति' का भी सीधा फायदा मिला। सही समय पर सही जगह होना... किस्मत और महेनत दोनों मांगता है। फिर जो ईन युट्यूबर्स ने किया उनसे बहुत से लोग प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए।
 
लोगों को लगता है की एसी सफलता ओवरनाईट मिल जाती है। बस एक-दो विडीयो वाईरल होनें चाहिए। लेकिन एसा सबके साथ नहीं होता है। जो लोग एक दो-वाईरल विडीयो की वजह से फेमस होतें है वे उतनी ही जल्दी भुला भी दिए जाते है। कई बच्चें, लडकीयां, अंकल एसे वाईरल हो चुके है।
 
लेकिन कुछ एसे है जो लोगो की पसंद, नापसंद को समज़ते है। वे आनेवाले समय और ट्रेंड पर ध्यान रखते है और उन पर एक्शन भी लेते है। वे परफेक्शन के पीछे नही भागते। वे सिर्फ अच्छा कोंटेंट बनाने में विश्वास रखतें है। परफेक्ट विडीयो किसी टीवी या डोक्युमेंट्री का अनुभव देता है जो एक युट्यूबर को दर्शको से जुदा कर देता है। युट्यूबर एसा ही होना चाहीए जो दर्शको को अपना लगे, ना की उनसे बहुत ही बेहतर। हां, मोटीवेशनल, एज्युकेश्नल विडीयो मेकर्स की बात अलग है।
 



युट्यूब से कितनी कमाई होती है?
 
युट्यूब का अपना अलगोरिधम है। विडीयो पर दिखाए जानेवाली एड और उन पर होनेवाली ईम्प्रेशन्स से युट्यूब पैसे कमाता है। ज़ाहिर है की युट्य़ूब आपको तभी पैसे देगा जब उसे फायदा होगा। आपको अधिक से अधिक ट्राफिक अपने विडीयो पर लाना है। उन्हें अधिक से अधिक समय तक अपने विडीयो पर बनाए रखना है। उन्हें आपकी चेनल पर एक के बाद एक कई विडीयो तुरंत देखने पड जाए, ईतना बेहतरीन कोंटेंट होना चाहिए।
अगर आप कम से कम तीस-पैतीस, एसे 'सक्षम' विडीयोज़ बना लेतें है, फिर आप तैयार हे युट्यूब की दुनिया में रेस के लिए तैयार है!
 
युट्यूब पर टेक चैनल सबसे अधिक कमाई करती है, क्युं की उनकी ईंप्रेशन पर अधिक कमिशन या पैसा युट्युब देता है। एंटरटेईन्मेंट विडीयो के सबसे कम कमिशन पाता है। हो सकता है की टेक चेनल के दस हजार व्युज़ हो और एंटरटेईन्मेंट चैनल के एक मिलियन... लेकिन दोनों की कमाई एक जीतनी ही हो। यह ईस पर भी निर्भर है की आपको लोग देश-विदेश से देख रहें है या नहीं। क्युं की विदेशी लोग आपके विडीयो पर विदेशी एड ही देखेंगे, जीनसे युट्युब अपने देश के मुकाबले अधिक चार्ज वसुलेगा। विदेशीमुद्रा और रुपिये का फर्क भी ईसका कारण हो सकता है। 
 
खैर, वापिस मुख्य प्रश्न पर आते है की युट्यूब से कितनी कमाई होती है?

युट्युब से एक छोटी सी नौकरी जितना पैसा कमाया जा सकता है। लेकिन जैसे नौकरी में आपको रोज़ाना 8-10 घंटे तक काम करना होता है, ठीक वैसे युट्युब के विडीयो के लिए भी काम करते रहना होगा। हां, अपनी मर्जी और मनपसंद विषयों पर विडीयो बनाना एक रोचक काम ज़रुर है लेकिन ईसे बिना रुके लगातार 2-3 सालों तक करना पडता है। उसके बाद जा कर, 'शायद' वहां से आय मिलना शुरु होता है।

नहीं तो विषय या तरीकों में फेरबदल कर के फिर से वही 2-3 सालों तक काम करना होगा। एक समज़दार और वयस्कों के लिए यह आसान है। लेकिन जो अठारह या उन्नीस साल के युवा है वे जल्दबाज़ी करतें है। हालां की उनकी नई सोच और जोश के कारण उनके हीट होने की अधिक संभावना होती है।

जैसे की मैने बताया की लोग तरह तरह के आंकलन करते है। कुछ फलां युट्यूबर ईतना कमाते है, कुछ युट्यूबर के एक-दो विडीयो वाईरल हो जातें है, कुछ खुद फेमस हो जातें है। यह सब होता ही रहेगा। लेकिन बाकी युट्यूबर्स को चाहिए के वे अपने काम, अपने जोनर और स्कील पर ही ध्यान दें। यहां लाखो-करोडों कमाने की आकांक्षा ना रखें। कोंपीटीशन बहुत ही ज्यादा तगड़ा है।


 
अंत में,
अगर आप एक करियर के रुप में युट्युब को चुनना चाहते है तो यह जान लें की यह भी नौकरी या बिझनस करने जैसा ही काम है। यहां भी उतनी ही महेनत और स्कील की आवश्यकता है जो नौकरी या धंधे मे ज़रुरी है। ओवरनाईट सफलता जैसा कुछ नहीं होता और ना ही ईसकी आशा रखें। अगर आप परिश्रम कर के अपने मुकाम पर पहुंचते है तो ईसका मज़ा ही कुछ ओर है!
 
आनेवाले समय को परखें, ट्रेंड्स को जानें और नए नए आईडियाज़ ढुंढते रहें। यह मत करें की सिर्फ एक चैनल बना कर उस पर अपना सारा समय दाव पर लगा दिया। बल्के एक दो अलग अलग रुचि को पहेचानें उन पर अलग अलग चैनल्स से लोगों तक पहुंचने का प्रयत्न करें। सोशियल मिडीया का भरपुर उपयोग करें और अपने चैनल को वहां प्रमोट करते रहें।  थम्बनेल्स, रील्स, शोर्ट्स वगैरह पर भी थोडी मेहनत करें, ताकी अधिक से अधिक लोग आपके बारे में जान सके।
 


 
खास बातः ईस महेनत में कुछ साल लग सकते है और आपको यह समय देना ही होगा। अगर आपकी आर्थिक हालत और पारिवारीक जवाबदेही अधिक है तो पहले पार्टटाईम जोब ढुंढ ले। बाकी बचे समय में आप युट्युब का काम कर सकतें है। ईससे आप पर अधिक दबाव नहीं होगा।
 

Wednesday 3 August 2022

घातक - Moive

राजकुमार संतोषी एसे डिरेक्टर है जिन्हों ने अंदाज़ अपना अपना जैसी कोमेडी फिल्म भी बनाई है और घातक, घायल, दामिनी जैसी जोश चढानेवाली फिल्में भी बनाई है, साथ साथ उन्हों ने हैलो (१९९६) फिल्म में पिता की एक्टींग भी की है। लेकिन पब्लिक यानी की जनता जनार्दन ईनकी जोश का पारा चढाने वाली फिल्मों को सरआंखो पर उठा लिया।
 
एक बार हुआ यह की मै राजा हिंदुस्तानी फिल्म देखने के लिए अपने मित्रों के साथ फिल्म थिएटर गया था। राजा हिंदुस्तानी सिर्फ दो हफ्तों से लगी थी और ईसके सभी शो हाउसफुल जा रहे थे। करिश्मा कपूर की नई स्टाईल और सुपरहीट गानों से यह फिल्म 'बझ' पर थी। थिएटर में घुसते ही पता चल गया की टिकट मिलनेवाले नहीं है।
 
फिर हुआ यह की बाजु के थियेटर में घातक फिल्म चल रही थी। मैने कभी सनी पाजी की फिल्म टोकीज़ में देखी नहीं थी। ईस फिल्म के हीट होने के बारे में सुना था लेकिन कभी यह फिल्म देखने के बारे में सोचा नहीं था। वैसे भी मैने घायल देखी थी और लगा की यह भी वैसी ही फिल्म होगी।
 
लेकिन फिर कोई चारा न होने के कारण हम घातक देखने चले गए।  पहले तो बनारस और सन्नी देओल का 'कुढपना' देखा। फिर एक एक कर के फिल्म की और परतें खुलती गई। अमरीश पुरी की बिमारी, बंबई शहर, मीनाक्षी शेषाद्री से दोस्ती ईन सबके बाद कातिया जैसे खूंखार विलन का अपना ही खौफ। छोटी बडी कई बातें है ईस फिल्म में जो ईस फिल्म पुरा देखने में मज़बुर करती है।
 
सिस्टम और कातिया से लडता, लोगों में दबा हुआ गुस्सा भडकाता सनी देओल मुज़े ईस फिल्म में... बाकी सारी फिल्मों से बहेतर लगे।
 
उसके बाद एक एक डाईलोग पर रोंगटे खड़े होना, एक एक सीन में पब्लिक का रिएक्शन, सनी देओल की एक्शन... शुरुआत से अंत तक फिल्म ईतनी दिलचस्प लगी की अभी भी कभी चैनल पर दीख जाती है तो चैनल स्कीप नहीं की जाती!
 
 
आगे सनी देओल की नरसिम्हा के बारे में पढे!
 
 

अनसुने गाने



मुज़े 90s के दशक के गाने पसंद हे। हमारे समय में बच्चे रेडियो पर विविधभारती के चित्रलोक प्रोग्राम के गाने बहुत पसंद करते थे। मेरे स्कुल में तो बाकायदा एसे गानों की लिस्ट बनाई जाती थी! कुछ लडकीयां नोटबुक के पीछ्ले पन्ने पर यह गानों की लिस्ट बना कर रखती थी। मैने अपने फेवरेट गानों में से दस-दस गानों की दो कैसेट बाजार से रेकोर्ड करवा पाया। वह भी तब, जब स्कूल ही खतम हो गया था। खैर, फिर बाकी के गाने सालों बाद ओनलाईन मिल पाए और उन्हें सुन कर पुरानी यादें ताज़ा करना बहुत भाने लगा।
 
ईसी पर से एक विचार आया। सोशियल मिडीया के विविध प्लेटफोर्म पर मैने उत्सुकतावश एक प्रश्न किया था की, "कोई एसा गीत बताएं जो ज्यादा सुना गया न हो, प्रचलित न हो... लेकिन आपको पसंद हो!" जवाब में उम्मीद से ज्यादा जवाब मिले। कई अनसुने गाने 60. 70 और 80 के दशक के भी मिले।
 
यह गाने सुपरहीट न सही, किसी न किसी के लिए बहुत अनमोल है। किसी की मन की गहराई में समाए हुए है और पुरानी यादों से जुडे हुए है।
 
उन्हीं गीतों का लिस्ट आपके सामने पेश है।
 
अनसुने गानों की युट्युब लिंकः

https://www.youtube.com/playlist?list=PLwnk9WHxQ1iErc51LMhfPx2DRTo5uEC0J

Tuesday 2 August 2022

द ग्रेट एक्स्परीमेंट - दूरदर्शन सिरीयल


द ग्रेट एक्स्परीमेंट

दूरदर्शन पर २००० के बाद प्रसारित यह एक सायन्स फिक्शन धारावाहिक था। दोपहर को प्रसारित होनेवाले द ग्रेट एक्स्परीमेंट सिरीयल को देखने का एक अलग ही मज़ा था। हालां की यह स्पेस सीटी सिग्मा जैसा एक्शन पेक्ड नहीं था, फिर भी दुरदर्शन पर साई-फाई देखने का मज़ा बरकरार था।

यह कहानी आर्य नामक गेलेक्सी की है। जहां प्रोफेसर सत्येंदु बोस (विशाल शेंदे) दो बच्चे रीना (पामेला मुकर्जी) और राहुल (धनंजय मोटवानी) के साथ वायु 2050 नाम के यान में निकल पडे है। ईनके साथ ईनका एक रोबोट झिग्मोईड (राजेश जैस) भी है।

सन 2050, यानी की भविष्य में प्रुथ्वी पर टेक्नोलोजी हावी हो जाती है। प्रोफेसर ईन बच्चों को ले कर ईसलिए सफर पर निकलतें है ताकि बच्चों को प्रुथ्वी का महान ईतिहास बताया जा सके।

ईनके पास किसी भी ईन्सान को भुतकाल से बुलाने के लिए टाईमट्रावेल मशीन है। प्रोफेसर कई वैज्ञानिक और दुसरे महान शोधकर्ता ओं को एक एक करके बुलाते है और बच्चों से मिलवाते है। फिर वे उन लोगों से उनकी थियरी और प्रयोग के बारे में चर्चा करते और उनसे बहुत कुछ् सीख कर उन्हें फिर अपने समयकाल में विदा करते।

यही ईस धारावाहीक की मुख्य थीम थी। अंत में रोबोट झिग्मोईड उन्हें वही महेमान वैज्ञानिक का कोई छोटा सा प्रयोग वगैरह बच्चों को कर के दिखाता।

धारावाहीक़ का ईंट्रो म्युझिक बहुत अच्छा था और मुझे वह अच्छी तरह याद रह गया था। जब सिरियल प्रसारित होता, में टीवी का वोल्युम बहुत उंचा कर देता!

अगर आपने यह धारावाहीक़ देखा है, तो ईसके बारे में आगे और ज़रुर बताईए।

Monday 25 July 2022

'हम' - Movie

 

Hum फिल्म तो आने के पहले ही Superhit हो गई थी। फिल्म की एन्डीग के टाईटल देख लिजीए, जिस के अंत में लिखा था की 'Next Show Housfull'! मै तो बच्चा था ईसलिए फिल्म देख कर थियेटर से बाहर भीड देख कर अचंबित हो गया की, ईनको कैसे पता अगला शो आउसफुल होने ही वाला है!
 
खैर। फिल्म का 'Jumma Chumma' गाना थानेदार फिल्म के 'Tamma Tamma' के साथ controvercy के बाद उससे कहीं आगे निकल चुका था । 'जुम्मा चुम्मा' गाने पर राष्ट्रीय ban लगा था। ईसी कारणवश ईसे बहुत समय तक रेडियो और टीवी पर दर्शाया नहीं गया था। 'जुम्मा चुम्मा' और का 'तम्मा तम्मा' गाना एक आफ्रिकन गाने पर से बनाए गए थे। दोनो गानों में होड लगी थी की कोन सा सुपरहीट होगा। ईसके अलावा सारे गाने जैसे की एक-दूसरे से करते है प्यार हम, कागज़ कलम दवात ला, सनम मेरे सनम को लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने संगीत से एसे तरबतर किया था की उसके ओडियो कैसेट भी धडल्ले से बिक रहे थे।
 
फिल्म के सारे छोटे-बडे केरेक्टर्स ईतने ईंटरेस्टींग बनाए थे की ईसे देख कर शोले की याद आ जाती है। बख्तावर, शेखर, कुमार, विजय, जुम्मा, सतरंगी, ईंन्स्पेक्टर गिरधर और केप्टन झटाक! बच्चन सा'ब को बड़े परदे पर देखना एक रोमांच होता था और साथ में Rajnikant, Govinda जैसे हीरो का ईस फिल्म में होना ईस फिल्म का मज़ा तीन गुना बढा दिया।

उस समय तो स्टोरी लाईन भी बहुत बढिया लगी थी। टाईगर के पुराने दिनों से कहानी मोड ले कर आज के शेखर तक जब पहुंचती थी तब लगता था की एक पुरी फिल्म देखने के बाद दुसरी फिल्म शुरु हो गई हो!दोनो हिस्से में अपना अपना रोमांच और मनोरंजन है।

ईसका गीत 'एक दुसरे से' मुझे तो बहुत अच्छा लगता था और स्कुल से चल कर घर आते हुए... अपने दोस्तों के साथ कभी कभी वही गाना गाते हुए आते थे। ओडियो कैसेट तो मैने फिल्म देख कर घर आते समय ही खरीदवा लिया था। उस पर बना टाईटल टेक्स्ट भी ड्रोईंग करना अच्छा लगता था। जो मैने कई बार डायरी वगैरह में बनाता रहता था।

ईस फिल्म की शुरुआत में जो गरीबी और गुंडागर्दी के सींस थे, वह अपने लोकेशन और डाईरेक्शन के कारण बहुत रियल लग रहे थे,  ठीक वैसे ही जैसे अग्निपथ में थे।  फिर पता चला था की दोनों के डाईरेक्टर एक ही थे... मुकुल एस. आनंद। लेकिन एसा जादु फिर देखने को नहीं मिला और १९९७ में वे चल बसे।

वैसे ईस फिल्म में गोन्साल्विस जो टाईगर के दोस्त और जुम्मा के भाई बने थे... वही ईस फिल्म के प्रोड्युसर रोमेश शर्मा है।

ईस फिल्म का असर ईतना तगड़ा था की अगले दो साल तो ईसी के गाने में घर पर बजाता रहता। फिर एक एसी ही दमदार फिल्म मुझे थियेटर में देखने को मिली... नरसिम्हा! उसके बारे में आगे पढने के लिए नीचे लिक पर क्लिक करें।
 

Thursday 14 July 2022

वर्षात्सव


(मै बरसात में कागज़ की नाव की बात करने नहीं करुंगा! मै कोई Essay on Monsoon लिखने नहीं आया हुं, सिर्फ अपनी मिलीझुली बातें ही बता रहा हुं।)

वर्षाऋतु आए और बचपन याद न आए एसा कैसे हो सकता है! बरसातों में मेरा बचपन खिडकी के सलिए को थामे हुए गुज़रता था। वैसे पहली बारिश में तो नहाना बनता ही था, लेकिन अगर शाम को खेलने के समय अगर बारिश हो जाए तो भीग कर खेल पुरा करना सभी बच्चों की ज़िद्द रहती। यह हमारी प्रामाणिकता थी, बारिश के प्रति।
 
बारिश एक चमत्कार है। किस में यह ताकत है की तालाब को सूखा कर सके और फिर से भर सके? ईस विचार के आधार पर ... बारिश एक चमत्कार ही है। बारिश में कभी कभार सुरज का निकलना और उसे देखने के लिए पीछे ईंद्रधनुष का तैयार रहना एक महान घटना है।
 

 
 
लेकिन हम विज्ञान में विश्वास रखतें है। हम सब जानतें है की पानी कैसे भाप बन कर बादल बनता है और कैसे फिर से बारिश के रुप में वही पानी लौट आता है।  हमें पता है की विज्ञान एक दिन बारिश के लिए भी स्वीच बना देगा। या कोई एप, जो आपके ईच्छानुसार तरह तरह की बारिश करवा सके।
 
फिर भले देखो या ना देखो। चाहे आप ओफिस में सड़ रहे हो, ट्राफिक में फंसे हो या टीवी के सामने जम्हाईयां लेते लेते बारिश को कोस रहे हो! लेकन वह भव्यातिभव्य घटना उपर आकाश में घटती रहती है।
 
खिडकी से टंगे हुए भी बारिश का लुफ्त लिया जा सकता है, एसा मेरा मानना था। बारिश जब भी होती है घर हो या क्लास रुम मेरा ध्यान बाकी सबसे ज्यादा खिडकी के बाहर चला जाता। ओफिस में भी बारिश के समय में छत पर जा कर या खिडकी खोल कर हाथ गीला ज़रुर करता हुं! अभी तक बच्चा जो हुं!
 
 
आज वही बचपन का दिन है। बारिश से भीगा भीगा! बारिश में यहां से वहां जाते लोगों को देखना एक अलग ही आनंद है। वटवृक्ष के पत्तो से बगुलों की लीद भी धुल गई है। धुल से भरी भरी सडक पानी से धुल जाने के बाद प्यारी लगती है। कुछ लोग परेशान है, कुछ स्वीकार कर चुके है, कुछ कौतूहल से ओतप्रोत है। कुछ वाहन छींटे उड़ा कर जा रहें है, कुछ गढ्ढों से बच कर। 
 
बारिश की वजह से गर्मीयों से राहत की खुशी मध्यम वर्गीय लोगों को सर्वाधिक होगी। रेडियो पर बरसाती गानों की लडी सुन कर वही खुशी दोगुनी बढ जाती है। रात में एकाध छुटपुट मेंढक की ड्राउं ड्राउं मुझे गांव की याद दिला जाती है। सड्कों के किनारे कुछ ही दिनो हरी हरी घास ईस खुशी में निकल आती है, जाने मेयरसाब ईन्हें सदा के लिए किनारों पर बसने देंगे। ईन दिनों तरह तरह के किडों, पतंगो को देख कर लगता है की हां... हम सिर्फ मानव, गाय और कुत्ते ही नहीं है ईस दुनिया में।



जंगली पौधों की तरह बारिश कई भावनां और ईच्छाओं को भी मन में जाग्रुत करती है। अगर मन पाषाण हो चुका है फिर भी झंक्रुत तो करती ही है। जिस तरह नमीवाले मौसम में फर्श से पानी सुखने में देर और महेनत दोनों लगतें है, वैसे ही मन से बारिश से जन्मी भावनाए और यादें जल्दी जातें नहीं।
 
लेकिन आज काम पर लग जाना पडता है। रेईनकोट एक मानव निर्मित आवरण ही सही, लेकिन चमत्कार को मुज़ से अलग रकनेवाला काला जादु लगता है। फिर भी में बंद हथेली में बारिश की कुछ बूंदे अगले साल के लिए बचा कर रखता हुं।

Wednesday 13 July 2022

गूंज - Movie

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गूंज (Goonj) एक एसी फिल्म थी जो मैने अब तक नहीं देखी! लेकिन ईस फिल्म के गाने मुज़े हंमेशा याद रहे। यह फिल्म का Audio Cassette मेरे पास अचानक ही आ गया। दरअसल मुझे उन दिनों हम फिल्म की ओडीयो कैसेट चाहीए थी। लेकिन पापा एसा कैसेट लाए जिस में ए साईड हम और बी साईड गूंज फिल्म के गाने थे! एसा दो तीन बार हुआ था की दो फिल्मों के गाने एक ही कैसेट में आ जाते थे। कई बार तो एकाध गाना कट भी हो जाता था। 
 
फिर कभी कभी मैं गूंज के गाने सुन लेता था। कुछ समय बाद मुज़े एहसास हुआ की गूंज के गाने मुज़े पसंद है! फिर मै वह गाने बहुत सुनने लगा। समा ये सुहाना, जवानी के दिन है, सुटा लगा लो यारों, लव टेक्नोलोजी वगैरह गाने मुझे पुरे के पुरे याद हो गए!
 
उन दिनों School में जब यह गाना में बार बार गुनगुनाने लगता तो दोस्त पुछते की यह कोन सी फिल्म का गाना है, और में यही कहानी सुनाता जो आपको अभी अभी सुनाई है।
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फिर Tape recorder का ज़माना गया और सारे कैसेट्स भी जाने कहां रख दिए गए। एमपी३ के युग में एसे पुराने और अनसुने गाने ढूंढना भी एक चेलेंज था। गूंज के गाने मुझे मिले ही नहीं। लेकिन युट्युब आने के बाद यह गाने मुज़े फिर से सुनने को मिले।

खैर, कैसेट पर Juhi Chawla और Kumar गौरव का फोटो देख कर तो लगा था की यह कोई हीट मुवी ही होगी। लेकिन वास्तव में यह फिल्म हीट नहीं थी और उस समय शायद इसके बारे में कोई जानता नहीं था। कैसेट पर पढा की संगीतकार कोई बिद्दु जी है। ईंटरनेट के युग में पता चला की बिद्दु जी फिल्मी गानों को Remix भी करतें है। 
 
अगर आपको याद हो की जब प्यार किसी से होता है का एक रीमिक्स गानों का कैसेट बडा हीट हुआ था। जिस मे मदहोश 'दिल की धडकन' गाना बहुत ही अच्छा रीमिक्स हुआ था। वह सारे गाने बिद्दु जीने ही किए थे। फिर एक और आलबम लेट नाईंटीस में आया था, सुबह सुबह जब खिडकी खोले बाजु वाली लडकी हाय... यह आलबम या फिल्म के गाने बिद्दु जीने हीसंगीत बद्ध किए थे।
 

 
सुन लिज़ीए एक गाना, हो सकता है आपको पसंद आए!
 

आगे पढें नरसिम्हा या  हम फिल्म के बारे में!
 

नरसिम्हा - Movie

 
1991 में आई एन. चंद्रा की नरसिम्हा (Narsimha) एक हीट फिल्म थी। ईसमें Sunny Deol और रीयालीटी शो Boogie Woogie के जज डान्सर Ravi मेईन हीरो के रोल में थे। Urmila Matondakar की बतौर हीरोईन यह पहली फिल्म थी। जाओ तुम चाहे जहां, हमसे तुम दोस्ती कर लो, लेकिन मुहोब्बत बड़ी है, पकड पकड खेंच के पकड जैसे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल द्वारा कंपोझ कीए हुए गाने भी बहुत चले थे।
 
Sunny Deol और Om Puri का रोल ईस फिल्म में बहुत अच्छा था जिसमें Dimple kapadia ने बहुत अच्छा साथ दिया था। कुल मिला कर फिल्म देखनेलायक बनी थी। लेकिन फिर भी रियालीटी से थोडी दुर ज़रुर थी। जैसे घातक में 'कातिया' की एक अलग ही दुनिया दिखाई गई थी, वैसे ही नरसिम्हा में 'बापजी' का अलग ही माहौल था। ईस में सनी देओल का शेरवाले टेटु के साथ आना बहुत रोमांच पैदा करता था।
 

 

मैनें दरअसल अपने स्कूली दोस्तों से नरसिम्हा के बारे में सुना था। रिसेस के समय वे सभी नरसिम्हा बने सनी देओल की तारीफ कर रहे थे। वह कैसे तलवार चलाता है और हाथ में नरसिम्हा का टैटू भी बनाया हुआ है वगैरह। घर में जीद्द कर के हम सब वह फिल्म देखने गए। और मुज़े तो बहुत ही ज्याद मज़ा आ गया! मेरे लिए 'नरसिम्हा' जैसे एक सुपरहीरो बन गया था।

अगले दिन स्कूल जा कर मैं भी अपने दोस्तो के साथ नरसिम्हा की बातों में जुट गया। फिर मैं भी दुसरों की तरह अपने बाजू पर बोल पोईंट पेन से नरसिम्हा का टैटु बना कर सबको दिखाया करता था!घर में टैप रेकोर्डर होने के कारण नरसिम्हा की कैसेट भी मंगवाई थी और फिर मैं उसके गाने रीपीट मोड में सुना करता था!

मै नरसिम्हा बचपन में सिर्फ एक ही बार देख पाया। उन दिनों में तो सोच भी नहीं सकते थे की फिल्म को दोबारा देखी जा सकती है / देखी जानी चाहिए! यह बात दिमाग में कभी आती ही नहीं थी। उस समय भी घर में केबल कनेक्शन वगैरह नहीं होने के कारण यह फिल्म कभी देखने को नहीं मिली। लेकिन फिर एक बार स्टेशन के पासवाले थियेटर में, जहां सुबह के मेटनी शो में मिथुन दा और बी ग्रेड की फिल्में चलती रहती है... वहीं नरसिम्हा फिल्म लगी थी। वहां यह फिल्म फिर से देख ली।

वैसे नरसिम्हा सच में एक अच्छा कोन्सेप्ट है। जो सुपरहीरो के जैसे भी काम कर सकता है। अगर ईसे साउथ की फिल्मों की तरह ट्रीटमेंट दे कर फिर से बनाया जाए तो भी यह दर्शकों को एक बढिया रोमांचकारी अनुभव दे सकता है। 

ईस फिल्म से जुडे आपके क्या विचार या यादें है, कॉमेंट कर के ज़रुर बताए!

आगे पढें फिल्म हम और गुंज के बारे में|

Tuesday 5 July 2022

चित्रहार - दूरदर्शन

 


Chitrahar - Doordarshan
 
Filmy Songs, जिन्हें देखने का एक ही ज़रिया था, चित्रहार। लेकिन यह पहले एक ही दिन आता था - शुक्रवार को। उस दिन एक दो नए गाने और बाकी पुराने गाने देखने को मिलते।  कई बार एसा भी होता की एक ही गीत महीने में दो बार भी दिखाते। शायद लोग खत लिख कर फरमाईश करतें होंगे, एसा मुज़े लगता था। कई पुराने गाने एसे थे जो चित्रहार के कारण जरा जरा याद रह गए थे। Old songs को शुट अगर किसी गार्डन में किया होता था... मुझे लगता था की यह हमारे किसी शहर काही गार्डन है!
 
फिर अचानक साप्ताहीकी (Saptahiki) में दिखाया गया की चित्रहार अब बुधवार को भी आनेवाला है... बड़ों का तो पता नहीं, हम बच्चे स्कूल में डिस्कस कर के बहुत खुश हुए। जिन बेचारों को पता नहीं था, वे चोंके और मै डींगे हांकने लगा था! क्युं की हफ्ते में सिर्फ 6-7 गानों से क्या होता है! ठीक से याद नहीं लेकिन बुधवार को प्रसारित चित्रहार में अधिकत्तर नए गाने होते थे, शुक्रवार को पुराने। दो-दो बार चित्रहार का प्रसारित होना, डबल बोनस सा लगता था!

 
Rangoli - Doordarshan

कुछ समय बाद यह हुआ यह की, जैसे मैनें अपने स्कूली दोस्तों के सामने बुधवारवाले चित्रहार की डींगे हांकी थी... ठीक वैसे ही घर के पासवाले एक दोस्तने कहा की, "तुम्हें पता है रविवार को सुबह भी फिल्मी गाने आते है?" मैने ईनकार में सर हिलाया तो उसने बताया की एक नया प्रोग्राम शुरु हुआ है, जिसमें चित्रहार की तरह रविवार सुबह गाने दिखाए जाते है।
 
खुशी खुशी घरवालों को यह बात बताने के बाद रविवार को जब टीवी चालु कर के देखा, सचमुच! सचमुच फिल्मी गाने आ रहे थे! रंगोली का वह एपिसोड देख कर ईतनी खुशी मिली की क्या बताउं! क्युं की कभी कभी जब सुबह स्कूल जाने से पहले टीवी चालु कर के देखता तो उस में एसा कुछ होता ही नहीं था। सुबह में पहली बार फिल्मी गानें देखने का अवसर तो रंगोली ने ही दिया, जिससे रविवार के दिवस की बहुत शानदार शुरुआत होती थी!
 
खैर, अब तो एक क्लिक से दुनिया का कोई भी गाना देखा/सुना जा सकता है। यह भी कोई सुख है भला!!!
 
आगे पढे दुरदर्शन की और भी यादों के बारे में! शोले  ।  नटखट रानी बडी सयानी
 

Thursday 30 June 2022

कच्चे रंग - दूरदर्शन

१९९७ या उसके बाद दूरदर्शन पर दोपहर एक नया धारावाहीक प्रसारित हुआ था। शायद उसका नाम 'कच्चे रंग' था। नाम मुज़े अच्छी तरह याद नहीं है, लेकिन फिल्म का टाईटल सोंग यही था.... क्च्चे रंग उतर जाएंगे, मौसम है गुज़र जाएंगे। जो गुलज़ार साहब द्वारा लिखीत था।

File:Gulzar.jpg - Wikimedia Commons

यह गाना फिर दो-तीन साल बाद सनसेट पोईंट नामक गुलज़ार जी के आल्बम में शामिल हुआ. कुछ बदलाव के सात। जो था, 'कच्चे रंग उतर जाने दो, मौसम है गुज़र जाने दो!' टीवी सीरियल और ओडीयो आलबम, दोनों में संगीत था विशाल भारद्वाज का। 

File:Vishal Bhardwaj 2017.jpg - Wikimedia Commons

सीरियल में दिखाया गया था की, एक बड़ी आलीशान हवेली या बंगला था।  जिसका मालिक के गुज़र जाने के बाद उनकी पत्नी अपनी दो-तीन बच्चॉं के साथ दुखी जीवन व्यतित कर रही थी। पैसो की ईंकम बंध हो जाने के बाद उनकी हालत खराब हो रही थी। उनसे कई लोग बंगला खरीदने की कोशिश करतें है। वह मां भी सोचती है की अगर बंगला बेच दिया जाए तो अच्छे पैसे मिल जाएंगे और बच्चीयों का जीवन संभल जाएगा।
 
बेहद उदास ईस धारावाहीक में हंसी / खुशी के द्रश्य बहुत कम थे। बेकग्राउंद संगीत बहुत ईमोशनल था और सिरीयल का ओवरओल फील बहुत अच्छा था। क्या आपने यह सीरियल देखा था?
अगर देखा हो तो ज़रुर कोमेंट कर के बताईए, जिस से कुछ मेरी भी यादें ताज़ा हो!
 
 

नटखट रानी बड़ी सयानी - दूरदर्शन


90s के दशक के दोपहर में बच्चों की एस सिरियल आई थी, 'नटखट रानी बड़ी सयानी'। कुछ लोगों ने यह फिल्म जरुर देखी होगी। ईस सिरियल में रानी नामकी लड़की दुसरे शहर से आती है या उसके माँ-बाप रानी का दाखिला बोर्डिंग स्कूल में कर देते है। वहां वह रानी को बिलकुल अच्छा नहीं लगता और काफी समय तक खुद को उस माहौल में ढाल नहीं पाती।

स्कूल में वह गुस्से से शैतानीयां करने लगती है। मन ही मन में दुखी रहनेवाली रानी सिनियर छात्राओसे झगडा भी कर लेती है। ईस तरह उसका एक ग़्रुप बन जाता है जो बाद में बहुत पोप्युलर हो जाता है और रानी को स्कूल अच्छा लगने लगता है!


वह उदास से चेहरे वाली लडकी एक क्लासमेट जैसी दिखने के कारण मुझे याद रह गई थी। मेरा भी स्कूल बदलने के कारण मैं उस सिरियल से और रानी के व्यवहार से पुर्णतः रिलेट कर पा रहा था। वह सिरियल मैने पुरी देखी थी।

ईन्टरनेट की सुविधा आने के बाद भी मैने वह सिरीयल के बारे में बहुत सर्च किया लेकिन कुछ मिल नहीं पाया। फिर एक बार नटखट रानी का टाईटल सोंग युट्युब पर अपलोड हुआ, जो देख कर बहुत अच्छा लगा।

फिर सालों बाद, किसी ने एक चौंकानेवाली (मेरे लिए) बात बताई की वह लड़की अब हैदराबाद की कलेक्टर बन गई है! फिर उन्हों ने वह कलेक्टर के फोटो भी शेर किए।  फिर उनका नाम भी पता चला - श्वेता मोहंती, IAS ।

 

 
हाला की उनके प्रोफाईल या बायो में ईस सीरियल का उल्लेख नहीं है, लेकिन नाम और चहेरा बिलकुल मेल खाता है। अगर आपने नटखट रानी बडी सयानी  देखी है तो आप क्या सोचतें है ईस के बारे में?
 
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