Sunny Deol और Om Puri का रोल ईस फिल्म में बहुत अच्छा था जिसमें Dimple kapadia ने बहुत अच्छा साथ दिया था। कुल मिला कर फिल्म देखनेलायक बनी थी। लेकिन फिर भी रियालीटी से थोडी दुर ज़रुर थी। जैसे घातक में 'कातिया' की एक अलग ही दुनिया दिखाई गई थी, वैसे ही नरसिम्हा में 'बापजी' का अलग ही माहौल था। ईस में सनी देओल का शेरवाले टेटु के साथ आना बहुत रोमांच पैदा करता था।

मैनें दरअसल अपने स्कूली दोस्तों से नरसिम्हा के बारे में सुना था। रिसेस के समय वे सभी नरसिम्हा बने सनी देओल की तारीफ कर रहे थे। वह कैसे तलवार चलाता है और हाथ में नरसिम्हा का टैटू भी बनाया हुआ है वगैरह। घर में जीद्द कर के हम सब वह फिल्म देखने गए। और मुज़े तो बहुत ही ज्याद मज़ा आ गया! मेरे लिए 'नरसिम्हा' जैसे एक सुपरहीरो बन गया था।
अगले दिन स्कूल जा कर मैं भी अपने दोस्तो के साथ नरसिम्हा की बातों में जुट गया। फिर मैं भी दुसरों की तरह अपने बाजू पर बोल पोईंट पेन से नरसिम्हा का टैटु बना कर सबको दिखाया करता था!घर में टैप रेकोर्डर होने के कारण नरसिम्हा की कैसेट भी मंगवाई थी और फिर मैं उसके गाने रीपीट मोड में सुना करता था!
मै नरसिम्हा बचपन में सिर्फ एक ही बार देख पाया। उन दिनों में तो सोच भी नहीं सकते थे की फिल्म को दोबारा देखी जा सकती है / देखी जानी चाहिए! यह बात दिमाग में कभी आती ही नहीं थी। उस समय भी घर में केबल कनेक्शन वगैरह नहीं होने के कारण यह फिल्म कभी देखने को नहीं मिली। लेकिन फिर एक बार स्टेशन के पासवाले थियेटर में, जहां सुबह के मेटनी शो में मिथुन दा और बी ग्रेड की फिल्में चलती रहती है... वहीं नरसिम्हा फिल्म लगी थी। वहां यह फिल्म फिर से देख ली।
वैसे नरसिम्हा सच में एक अच्छा कोन्सेप्ट है। जो सुपरहीरो के जैसे भी काम कर सकता है। अगर ईसे साउथ की फिल्मों की तरह ट्रीटमेंट दे कर फिर से बनाया जाए तो भी यह दर्शकों को एक बढिया रोमांचकारी अनुभव दे सकता है।



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