Tuesday, 28 June 2022

हमें Academy Award Oscar क्युं जीतना होगा?


हमें Academy Award Oscar क्युं जीतना होगा?
 
दुनिया की सबसे अधिक Films भारत में बनती है। ईसमें से बहुत कम Movies पुरे भारत के दर्शकगण पसंद कर पाते है। अधिकत्तर Bollywood Films बहुत पुरी तरह फ्लॉप हो जाती है। यह तो हुई कर्मर्शियल बात। दरअसल सिनेमा सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं है। वह एक आर्ट भी है। बहुत सी कलाओं का मिश्रित स्वरुप।

हम सिर्फ एंटरटेनमेंट के लेबल तले फिल्म देखना चाहते है। यह पुरी तरह गलत है। आप खुद भी एसा नहीं चाहते, यकीन मानिए! आईए, आपकी पसंद और नापसंद के बारे में चर्चा करतें है! 
 
हाल की मौजुदा परिस्थिति
 
दर्शकः
हमारी भारतीय फिल्मों के दर्शको के बारे में कहा जाता है की... जनता जनार्दन है, वही फिल्म का आखरी फैसला करती है। लेकिन क्या यह सच है? कौन सा डिरेक्टर या फिल्म मेकर आपसे पुछने आता है की, 'मालिक, आपके लिए अगली फिल्म कैसी बनाउं?'
 
फिल्म मेकर्स एसे प्रकार / जोनर की ही फिल्मे बनाते है जो पहले भारत या विदेश में हीट हो चूकी हो। अलग करने जाएंगे तो उनको अपने पैसे डूबने का ड़र रहता है। दुसरा डर यह भी है की, सिर्फ एक फिल्म फ्लॉप हो जाने पर भी बोलिवुड में अधित्तर रिश्ते बदल जाते है। दुसरी बार काम ढुंढना मुश्किल हो जाता है। ईसलिए वे बड़े प्रेक्टिकल तरीके से ईंडस्ट्री में बने रहेना चाह्तें है।
 
दर्शक सर्वोपरी नहीं है। अगर आपको एसा वहम है तो उसे दुर करो। सिर्फ आप ही दर्शक नहीं हो। फिल्म किसी और देश या प्रदेश में चलेगी तो भी फिल्ममेकर खुश है।अगर आप थियेटर में नहीं जाते तो फिल्म को ओटीटी पर बेच दी जाएगी, आप देखो या ना देखो। फिल्म का खर्चा और थोडा फायदा निकल गया वह भी कभी कभी बड़ी बात कहलाती है।खर्चा अगर निकल गया है फिर दर्शको को कौन पुछता है?
 
फिल्म मेकर्स
बहुत पापड बैलने के बाद फिल्म मेकर बना जा सकता है। फिल्म मेकींग को सीखना तो बहुत आसान लगेगा, जब ईंडस्ट्री में यह काम ढुंढने जाओगे। एक मेकअप आर्टिस्ट्स, लाईटमेन या क्लेपबोय भी एसा मिल जाएगा जो फिल्म मेकींग जानता हो!
 
लेकिन फिल्म एसे नहीं बनती। फिल्म प्रोड्युसर और फाईनांसर को कैसे अप्रोच किया जाता है, वह कैसे आपको प्रतिउत्तर देते है, फिर आप कैसे उनको मनाते हो ... ईन सब बातों से अधिक कठीन है रोज़ धक्के खाना, अपमानित होना, शहर में सर्वाईव करना, पर्सनल तकलीफों को भुला देना और सालों तक यही सब दौहराते रहना।
 
फिर जा के कुछ परिस्थितियां आपको अगर एक मौका देती है, फिर आप कोन सा कद्म उठाते हो? क्या आप एसी फिल्म बनाओगे जो फ्लॉप हो सकती है या वह फिल्म जो सभी लोग बना रहें है और अधित्तर हीट होती है?
 
ईस मुकाम पर सोचना, निर्णय करना बहुत कठिन है। अगर आप हीट हो गए फिर मौके ही मौके है, लेकिन अगर फ्लॉप हुए तो हंमेशा के लिए बोरिया बिस्तर बांध के वापस घर। अंत में यहां हो सकता है की आपके कनेक्शन या वंशवाद शायद काम आए और आपको फिर कुछ मौके मिल पाए।
 
 

ऑस्कार एवोर्ड
तो ईस सतही / ज़मीनी सच्चाईयों को ध्यान में रख कर फिल्म के एवोर्ड के बारे में लोग सोचतें है। ऑस्कर एवोर्ड एक पहेचान दिलाता है। उस से कोई सीधा पैसा नहीं मिलता। अगर एवोर्ड या अच्छे काम करने की लालसा हो वही लोग एवोर्ड के चक्कर में पड़ते है। दर्शको को भी एवोर्ड विनिंग फिल्में पसंद नहीं आती। बहुत कम एसी फिल्में है जिसे एवोर्ड भी मिला हो और फिल्म व्यावसायिक तौर पर सफल भी हुई हो। 
 
Oscar क्युं जीतना होगा? 
सम्मान
देखा जाए तो ऑस्कर सिर्फ एसी फिल्मों को मिलता है जो उसके अपने स्टांडर्ड से मेल खाते हो। वैसे ही फोरेन फिल्म केटेगरी में एक बेस्ट फोरेन लेंग्वेज फिल्म केटेगरी में भी ये एवोर्ड मिलता है। ब्रिटन और फ्रांस ने तो यह ईनाम कब से जीत रखें होंगे। लेकिन पिछले कुछ सालों से तुर्कीश, हंगेरी, चिले जैसे कई देश भी यह जीत चुके है। https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_by_number_of_Academy_Awards_for_Best_International_Feature_Film
 
 
भारत में जब दुनिया की सबसे अधिक संख्या फिल्म बन रही है, हम कई बार उस एवोर्ड में नोमिनेशन पाने के बाद भी जीतने से बाकी रह गए है। यह सिर्फ एक एवोर्ड नहीं रह गया है, हमारे लिए एक चुनौती बन गई है।  वैसे कईलोग निराश हो कर एस एवोर्ड को खट्टा अंगुर बताते हुए बारे में अलग अलग बात करते है!
 
लेकिन अगर होलिवुड फिल्मो का जनक है तो उसके द्वारा दिया जानेवाला एवोर्ड ही यह प्रामाणित करेगा की फिल्म वर्ल्ड क्लास है की नहीं। ईस चैलेंज को स्वीकार कर के कई देशों ने फोरेन लेंग्वेज की फिल्में सबमीट कर के यह एवोर्ड जीता है। हमें भी फिल्मों में अपनी दक्षता साबित करने के लिए यह एवोर्ड जीतना ही होगा।

क्या हमारी फिल्ममेकिंग दक्षता अभी भी कम है? ऑस्कार हमें कैसी फिल्में दिला सकती है? क्या हमें ऑस्कर जीतना चाहिए? एक दर्शक के तौर पर आप क्या सोचतें है, एक भारतीय के तौर पर आपके विचार क्या है, फिल्मों के चाहक की क्या राय होनी चाहिए?

अपने विचार कोमेंट जरुर करें।
 

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