केबल टीवी, वी.सी.आर. ना होनें के कारण कई बच्चों ने शोले फिल्म नहीं देखी थी। फिर जब 26 जनवरी 1996 को दूरदर्शन पर शोले फिल्म के प्रसारण की बात चली... सभी लोग बहुत खुश हो गए। यह बहोत से लोग का आंकडों का अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता।
उस दिन सालों बाद ठीक वैसे ही स्वयुंभु कर्फ्यु लग गया था जैसा रामायण के प्रसारण समय में होता था। दूरदर्शन पर यह पहली बार हुआ की किसी फिल्म के बीच में बहुत सारे विज्ञापन दिखाए गए हो।
फिल्म शुरु होने पहले कई टीवीवाले घरों में भीड़ जम गई थी। हालांकि, बहुत सारे घरो में अब टीवी आ चुके थे। फिर जब फिल्म शुरु हुई तो उसे देखने का वही आनंद आया जो, उस समय शोले फिल्म को थियेटर में देखने से मिला होगा।
फिल्म वैसे तो मल्टीस्टारर है और पुरी कहानी देखने लायक है, फिर भी सभी को ईंतज़ार तो गब्बरसिंह का था। लेकिन, एक बात एसी हुई जिससे गब्बरसिंह की एंट्री का पुरा मज़ा मारा गया। दूरदर्शन पर गब्बर की एंट्री के ठीक पहले ही Glunose D का पुराना गब्बरसिंह वाला एडवर्टाईझमेंट चला दिया गया। सब को लगा की यही गब्बर की एंट्री है, लेकिन वह विज्ञापन था।
ईस बात की चर्चा लोकल न्यूझपेपर में भी आई थी! दुरदर्शन की टीआरपी (या उस वक्त जो भी स्केल चलता हो) भी उस दिन टॉप पर चला गया था। लेकिन वह दिन नहीं भुला जा सकता जब दूरदर्शन पर ईतनी बड़ी फिल्म को दिखाया गया और करोडों लोगों ने वह फिल्म देखी।
दुसरे दिन स्कूल जा कर पता चला की एक-दो कमनसीब दोस्तों के घर उस दिन लाईट चली गई थी! कम से कम चार-पांच दिन तक फिल्म की बातें होती रही। बचपन से शोले के कई डाईलोग लोगों के मुंह से सुने थे। कई मैगेझींस में फोटो और आर्टिकल पढे थे। यह सब देख-पढ के शोले फिल्म देखने के लिए ईच्छा तो जाने कब से दबी पडी थी। लेकिन तब ना कैबल टीवी था और ना वी.सी.आर. कोई शोले फिल्म के लिए लाता था। उसके डाईलोग की ऑडीयो कैसेट भी बाज़ार में मिला करती थी। लेकिन दो कैसेट का वह सैट तो मध्यमवर्गीय बच्चे के लिए पाना नामुमकीन सा था, क्युं की अठन्नी में से चौकलेट और स्कुल में रिसेस का खर्चा भी तो बचाना होता था!
वैसे आपने यह फिल्म कब देखी थी? क्या मेरी तरह दूरदर्शन पर? अगर हां, तो ज़रुर बताईगा की आपका अनुभव कैसा रहा!

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