Wednesday, 22 June 2022

चौथी साईकिल



अभी आप सोचने लगोगे.... यार यह गरीब और कितनी साईकिल लेगा? वैस, गलत नहीं सोच रहे आप!
तीसरी साईकिल बेची उसके बाद मुझे कॉलेज जाना था। मेरे पास वाकई बाईक आए, एसी कोई भी संभावना नहीं थी। वैसे बाईक का शौक तो मुझे कम था, लेकिन था! वह स्प्लेंडर याद है ना? वही मुझे अच्छी लगती थी। मैने दोस्तो से पुछ भी रखा था कि, गियर आगे होतें है या पीछे? लेकिन यह तो कोई योग्यता नहीं हुई बाईक धारक की! सो मैनें अपने अठराह साल पुरे होने के तीसरे माह ही पक्का लाईसन्स ले लिया... एक रिश्तेदार के उधार के स्कूटर की मदद से! आपको जान कर हंसी आएगी.... जिस दिन में लाईसंस के लिए स्कूटर ले कर जा रहा था, तभी ट्राफिक पुलिस द्वारा पकडा गया! चालान भी कटा, लेकिन लाईंसस की परीक्षा पास करने की खुशी दो गुनी थी।
 
खैर, बाईक तो फिर भी नहीं मिली... सो मैं मेरे हाथो एक पुरानी स्पोर्ट साईकिल हाथ में आई। जिसका हैंडल गोल घुमा हुआ होता है और टायर पतले होतें है। कॉलेज पुर्ण कर के भी वही साईकिल मै एक छोटी नौकरी के लिए उपयोग करता रहा। वैसे यकिन मानिए. मेरी जीवनकहानी उतनी बोरिंग नहीं है जितना आप समज़ रहे हो!
 
फिर वह साईकिल छूटी और मेरे पास वही स्प्लेंडर है... जिसका मैं बचपन से सपना देखा करता था! हाला की इसके दो तीन सालों बाद... एक पांचवी साईकिल भी ली गई! वह मैने पता नहीं क्युं खरीदी....लेकिन स्प्लेडर के साथ वह भी पार्क रहती है। कभी कभी सुबह या शाम को सैर कर लेता हुं! 
 
और फिक्र मत किजीये, उस पर लेख नहीं आएगा!

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