Sunday, 22 May 2022

तीसरी साइकिल



दसवीं क्लास में आने के बाद 3 महीने गुजर गए। फिर मेरे पापा ने हीरो रेंजर साइकिल खरीद कर दी। जिसको हम लोग सीधे हैंडल वाली साइकिल कह के बुलाते थे। यह साइकिल मैंने कम से कम से 8 से 10 साल तक चलाई होगी। हम लोग क्वार्टर में रहते थे और हमारा घर दूसरे माले पर था। हमारे यहां सब लोग चोरी के डर से अपनी अपनी साइकिल उठाकर ऊपर बरामदे में रखते थे! मेरा भी यही रूटीन रहा।

मैं अपनी साइकिल बहुत संभाल के रखता था। उसको घर पर ही रिपेयर और सर्विस करता था। और कई बार इसको बाहर भी देनी पड़ती। बहुत पुरानी हो जाने के बाद मैंने उसको एक दो बार कलर भी किया था।

इस साइकिल के पेडल प्लास्टिक के होने की वजह से बहुत जल्दी खराब हो जाते थे। तीन चार महीनों में एक नया पैडल का सेट डलवाना पड़ता था। फिर मैंने बोर होकर उसमें अपनी देसी साइकिल के पैडल डलवा दिए थे!

दोस्त लोग कहते थे कि अगर हाइट बढ़ानी हो तो साइकिल की सीट ऊंची करवा लेनी चाहिए। तो मैंने ऐसा भी करके देखा, लेकिन मेरी हाइट ज्यादा नहीं बढ़ी। क्योंकि मैं पहले से ही अपने क्लास में सबसे लंबा था!

मेरे पास जब दूसरे नंबर की सिंपल साइकिल थी, तब हमारा एक सरदार दोस्त हीरो रेंजर साइकिल लेकर आया था ऐसी हीरो रेंजर साइकिल मैं जब ब्रेक लगाते हैं तो "पों..." की आवाज आती थी। हम उसको बाहर बार साइकिल पास चला कर ब्रेक मारने को कहते थे। और उसकी आवाज सुनकर बहुत आश्चर्य होता था। लेकिन मेरे पास थी जबर हीरो रेंजर साइकिल आई, तब ऐसी आवाज मेरी साइकिल से नहीं आती थी।

उस साइकिल में मैंने थोड़े मॉडिफिकेशन भी करवाए थे। जैसे कि हैंडल भी यू शेप का डलवा कर देखा। आगे बास्केट भी डलवाई थी। सारी 'कार्टूनगिरी' मैंने इस साइकिल पर आजमा डाली! फिर सालों तक यह साइकिल वैसे ही पड़ी रही। और फिर मेरे पापा बोल कर उसे सस्ते में बेच डाला।

चौथी साईकिल

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